These lines were wandering in mind for a long time, with tunes attached to them, the quality of the song was low so i thought its better to post the lyrics only.
बूतकाल का बाघ
कुछ काली सी पीली सी नदियाँ जो
बहती जो कभी थी खौफ बो
उनका तो किनारा रहा ही नहीं
वोह बाघ बेचारा रहा ही नहीं
एक आँख जो प्यार की पयासी थी
अक आँख जो भय की झांसी थी
वोह आँख का मारा रहा ही नहीं
वोह बाघ बेचारा रहा ही नहीं
जो गति के गीत को गाता था
प्राकृति में खुद को समाता था
वोह राग बेचारा रहा ही नहीं
वोह बाघ बेचारा रहा ही नहीं
जो राष्ट्र की रग का खून था
जो मृग के लिए कानून था
वोह सहमा सहारा रहा ही नहीं
वोह बाघ बेचारा रही ही नहीं
Save the tiger